अमेरिका में मानव तस्करी कांड: भारतीय दंपति विक्रांत और इंदु पर लगा बड़ा प्रतिबंध

वाशिंगटन
भारत में जन्मे एक दंपति विक्रांत भारद्वाज और उनकी पत्नी इंदु रानी अब अमेरिकी वित्त मंत्रालय की जांच के घेरे में हैं। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग के ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (OFAC) ने गुरुवार को इन दोनों को एक बड़े मानव तस्करी नेटवर्क का मास्टरमाइंड घोषित किया है। यह कार्रवाई उस समय सामने आई जब अमेरिका ने 'भारद्वाज ह्यूमन स्मगलिंग ऑर्गनाइजेशन' (HSO) के खिलाफ व्यापक प्रतिबंध लगाए। यह गिरोह कथित तौर पर हजारों अवैध प्रवासियों को अमेरिका में दाखिल कराने का काम करता था। इनमें भारतीय नागरिक भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, OFAC ने बताया कि विक्रांत और इंदु रानी नई दिल्ली में जन्मे भारतीय नागरिक हैं, जो अब मेक्सिको के कैनकुन में एक आलीशान जीवन जी रहे थे। उनका नेटवर्क तीन देशों में फैला हुआ था, जिसमें कम से कम चार भारतीय कंपनियां और 16 फ्रंट एंटिटीज शामिल थीं। इनकी मदद से गिरोह मेक्सिको से अमेरिका तक क्रॉस-कॉन्टिनेंटल स्मगलिंग रूट संचालित करता था। अमेरिका ने अब इन दोनों के सभी अमेरिकी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया है और अमेरिकी नागरिकों व कंपनियों को इनके साथ किसी भी वित्तीय लेनदेन से प्रतिबंधित किया गया है।
तस्करी का खाका
अमेरिकी एजेंसियों के अनुसार, गिरोह का कामकाज बेहद संगठित था। प्रवासी यात्रियों को पहले मेक्सिको के कैनकुन इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचाया जाता था, जहां एयरपोर्ट के कुछ अधिकारियों को रिश्वत देकर प्रक्रिया आसान की जाती थी। इसके बाद उन्हें होटलों और हॉस्टलों में ठहराया जाता, जो स्वयं भारद्वाज गिरोह के नियंत्रण में थे। फिर इन प्रवासियों को लक्जरी यॉट्स और जमीनी रास्तों से सिनालोआ कार्टेल की मदद से अमेरिका-मेक्सिको सीमा तक पहुंचाया जाता था। रिपोर्ट के मुताबिक, यह नेटवर्क विशेष रूप से हाई-वैल्यू क्लाइंट्स पर केंद्रित था- यानी एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका के ऐसे लोग जो अमेरिका में दाखिल होने के लिए हजारों डॉलर तक देने को तैयार रहते थे।
भारत में बनी कंपनियां बनी मनी लॉन्ड्रिंग का जरिया
OFAC की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में स्थित कई कंपनियां इस नेटवर्क की मनी लॉन्ड्रिंग मशीन के रूप में काम कर रही थीं। इनमें वीणा शिवानी एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी रियल एस्टेट कंपनियां शामिल हैं, जिनके जरिए गैरकानूनी कमाई को प्रॉपर्टी डील्स के जरिए साफ दिखाया जाता था। इसी तरह, यूएई में स्थित ब्लैक गोल्ड प्लस एनर्जीज ट्रेडिंग एलएलसी नाम की कंपनी ऊर्जा कारोबार के नाम पर तस्करी की कमाई को छिपाने का काम करती थी।
मेक्सिको में सहयोगी और सुरक्षा नेटवर्क
मेक्सिकन अधिकारियों ने खुलासा किया है कि भारद्वाज दंपति ने स्थानीय सहयोगियों की एक मजबूत टीम बना रखी थी। इसमें जोसे जर्मन वलादेज फ्लोरेस, कैनकुन के एक व्यापारी शामिल थे। पूर्व क्विंटाना रू पुलिस अधिकारी जॉर्ज अलेजांद्रो मेंडोजा विललेगास के एयरपोर्ट और सुरक्षा विभागों में गहरे संपर्क बताए गए हैं। गिरोह का मेक्सिको मुख्यालय बाहरी तौर पर एक कानूनी व्यापारिक साम्राज्य जैसा दिखता था- जिसमें यॉट सेवाएं, सुपरमार्केट, रेस्टोरेंट और ऊर्जा व्यापार जैसे कारोबार चल रहे थे। मगर अधिकारियों के मुताबिक, यह सब नकदी के प्रवाह और मादक पदार्थों की तस्करी को छिपाने का तरीका था।
अमेरिका की सख्त कार्रवाई
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के अंडरसेक्रेटरी फॉर टेररिज्म एंड फाइनेंशियल इंटेलिजेंस, जॉन के. हर्ली, ने कहा कि यह फैसला इस नेटवर्क की क्षमता को बाधित करता है, जो अवैध रूप से प्रवासियों को अमेरिका लाने का काम कर रहा था। ट्रंप प्रशासन अमेरिकी लोगों की सुरक्षा के लिए ऐसे ट्रांसनेशनल अपराध संगठनों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, अभी तक किसी गिरफ्तारी या औपचारिक आपराधिक मुकदमे की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह कार्रवाई अमेरिका, मेक्सिको और भारत की एजेंसियों के संयुक्त अभियान का हिस्सा बताई जा रही है।
क्या होगा आगे?
OFAC की इस घोषणा के बाद, भारद्वाज दंपति की सभी अमेरिकी संपत्तियां तुरंत फ्रीज हो गई हैं। अंतरराष्ट्रीय बैंकों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे इनसे जुड़े लेनदेन करेंगे तो उन्हें भी सेकेंडरी सैंक्शंस का सामना करना पड़ सकता है। यह मामला भारतीय नागरिकों से जुड़ी अब तक की सबसे बड़ी मानव तस्करी जांचों में से एक माना जा रहा है- जो यह दिखाता है कि किस तरह भारतीय कंपनियों का दुरुपयोग कर अंतरराष्ट्रीय तस्करी रैकेट संचालित किए जा रहे हैं।



