झारखंड/बिहारराज्य

उपेंद्र कुशवाहा ने परिसीमन सुधार महारैली को किया संबोधित

 

 मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर में पहुंचे राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने क्लब मैदान में आयोजित संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इतनी भीषण गर्मी और तपिश में आए लोगों के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूं। मुझे इतनी भारी भीड़ की उम्मीद नहीं थी। आप सबको देखकर हमें हौसला मिलता है। हमारा हौसला आपकी ताकत और इस भीड़ से है। भीड़ को देखकर उपेंद्र कुशवाहा गदगद हो गए और कहा कि यह बदलाव का संकेत है।

राज्यसभा सांसद उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर हम चल रहे हैं, उनके रास्ते में जितनी बाधाएं आती हैं, मुझे उतना ही आनंद आता है। हम परिसीमन को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसमें दक्षिण के कुछ नेताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है। अब मुझे जिस तरह से शाहाबाद और मुजफ्फरपुर में मिल रहा है, उससे इनडायरेक्ट समर्थन बढ़ने लगा है। बिहार में केवल राष्ट्रीय लोक मोर्चा ही यह काम कर रही है। जनगणना हर दस वर्ष में होगी, जिसमें लोकसभा और विधानसभा की सीटों की संख्या निर्धारित होगी। वर्ष 1951, 1961, 1971 में जनगणना हुई थी, लेकिन 2009 में सीटें नहीं बढ़ी थीं। 1976 में आपातकाल के दौरान संशोधन कर परिसीमन पर रोक लगा दी गई थी। 2001 में यह रोक 25 वर्ष तक लागू रही। यह समय सीमा 2026 में समाप्त होने वाली है। दक्षिण के नेता इसे रोकने में लगे हुए हैं। यदि इसमें रुकावट आई, तो हम और भी पिछड़ जाएंगे। मुझे अपने बिहार के संविधान के अधिकार से वंचित करने का षडयंत्र किया जा रहा है।
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सीटों को लेकर पल्ला झाड़ते हुए कहा- मुद्दे से भटकाने की साजिश है
उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में लोक मोर्चा को मिल रही सीटों को लेकर कहा कि किसी को कुछ भी पता नहीं होता है। ध्यान को भटकाने के लिए यह सब साजिश के तहत किया जा रहा है ताकि जनता महत्वपूर्ण मुद्दों से भटक जाए। मीडिया में चल रही सीटों को लेकर चर्चा पर उन्होंने कहा कि आपको यह अधिकार किसने दिया? जो काम है, वह आप कीजिए। राजनीतिक दल का काम वही करे। हम जो भी सवाल उठाते हैं, उसे लेकर हम सभी गठबंधन के लोगों के साथ चर्चा करेंगे।

 उपेंद्र कुशवाहा पद के लिए नहीं, जनता के लिए लड़ते हैं
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जो लोग पद के लिए राजनीति करते हैं, उन्हें यह मुबारक हो। हम तो परिवर्तन के लिए राजनीति करते हैं और जनता के लिए लड़ते रहेंगे, चाहे परिणाम कुछ भी हो। मुझे क्या मिलेगा, यह मैं भी नहीं जानता। क्या गांधी कभी रणनीति में गए थे? लेकिन वह उच्च शिखर पर रहे हैं। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन लोगों का नाम सम्मान के लिए लिया जाना चाहिए। जनता के सवालों को लेकर संघर्ष करना ज्यादा जरूरी है। जेपी भी इनमें रहे हैं। हम जनता के मुद्दों को लेकर लड़ना ज्यादा जरूरी मानते हैं। सीट मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती।

सरकार में रहते हुए हमने सवाल उठाया था
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सरकार में रहते हुए कोलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे। तब सत्ता में आने वाले कई सांसद और मंत्री ने टोका था, लेकिन मैंने कभी अपने कमिटमेंट पर समझौता नहीं किया। आज सभी जानते हैं कि उस सिस्टम को लेकर केंद्र में सवाल उठाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में बहाली चोर दरवाजे से हो रही है। अब यह निश्चित रूप से मांग की जा रही है। आज शिक्षा में बहाली को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने बीपीएससी से बहाली का काम शुरू किया था। अब दूसरे राज्यों के लोग बिहार की हकमारी नहीं कर सकेंगे। चुनाव नजदीक है, जो काम अब तक नहीं हुआ है, हम उसे करेंगे।

 

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