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श्याम कुंड का रहस्य: क्या सच में पाताल लोक से जुड़ा है इसका जल?

हारे का सहारा कहलाने वाले बाबा खाटू श्याम को कलियुग का देवता माना जाता है. राजस्थान में स्थित खाटू जी का मंदिर बेहद प्रसिद्ध हैं, जहां दूर-दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं. 1 नवंबर को खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है और इस शुभ अवसर पर सीकर में बड़ी धूम देखने को मिलती है. इस मौके पर भारी संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए खाटू श्याम मंदिर जाते हैं. लेकिन कहते हैं कि बिना श्याम कुंड में स्नान किए, खाटू बाबा के दर्शन अधूरे माने जाते हैं. चलिए आपको इस लेख में इस श्याम कुंड का रहस्य बताते हैं.

खाटू श्याम के श्याम कुंड का रहस्य

खाटू श्याम मंदिर के पास स्थित पवित्र कुंड है, जिसको लेकर बहुत सी मान्यताएं प्रचलित हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, यही वह स्थान है जहां से महाभारत काल में बर्बरीक यानी बाबा श्याम का शीश प्रकट हुआ था. इस कुंड में भक्त स्नान करते हैं और खाटू जी की पूजा करते हैं. पौराणिक मान्यता है कि इस श्याम कुंड में स्नान करने से भक्तों को पुण्य मिलता है, पापों से मुक्ति मिलती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है.

श्याम कुंड की मान्यताएं

शीश दान की भूमि: ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर बर्बरीक ने कृष्ण की मांग पर अपना शीश दान कर दिया था, जिसके कारण उन्हें ‘शीश के दानी’ के रूप में जाना जाता है.

अखंड जल स्रोत:- कहते हैं कि कुंड का पानी कभी खत्म नहीं होता, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह पाताल लोक से आ रहा है.

शीश का प्रकटीकरण: श्याम कुंड वही जगह है जहां बर्बरीक का शीश प्रकट हुआ था, जिससे कुंड का नाम “श्याम कुंड” पड़ा.

चमत्कारी स्नान: भक्तों का मानना है कि कुंड में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप और रोग दूर हो जाते हैं.

संतान सुख: कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस कुंड में स्नान करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.

घर ले जाने योग्य जल: यहां आने वाले भक्त कुंड का जल बोतलों में भरकर अपने घर ले जाते हैं, क्योंकि कहते हैं कि इसे घर में छिड़कने से बुरी शक्तियां दूर होती हैं.

कैसे प्रकट हुआ शीश?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्याम कुंड पहले एक प्राचीन खेत था जहां एक गाय रोजाना अपना दूध देने आती थी. जब लोगों ने इसकी खुदाई शुरू की, तो उन्हें 30 फीट नीचे बर्बरीक का शीश मिला. तभी से इस कुंड में स्नान करना बहुत पुण्यदायी माना गया है.

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