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युवा भारत की सबसे बड़ी समस्या, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड और रिफाइंड तेल कम आयु में हार्ट अटैक जैसी गम्भीर बीमारी के बढ़ते मामले।

“पहला सुख निरोगी काया” ये कहावत मनुष्य अपने जीवन में कई बार महसूस करता है जब भी वो किसी अनचाही बीमारी के कारण परेशान रहता है।

इस समय भारत युवा भारत है, जिसके कारण विश्व में भारत एक उर्जावान देश के रूप में अपार संभावनाओं के साथ अपने आप को प्रेजेंट करता है। ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत सही खाना पानी होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। हम जैसा भोजन करते है वैसे ही हमारे स्वास्थ्य और विचार बनते है।

सभी सरकारों का पहला उद्देश्य यही होना चाहिए कि नगरिकों को अच्छा खाद्यान्न मिले। जिसमें किसी तरह की कोई मिलावट न हो। परन्तु अभी के स्वास्थ्य के आंकड़े कहीं न कहीं सरकारों की परेशानी बढ़ाने वाले है कम आयु में हार्ट अटैक, कैंसर जैसे गंभीर रोग नागरिकों की जान ले रहे है।इसी तरफ सरकार के ही सांसद और विधायक मंत्री तक ध्यान खींचने में लगे हुए है।

भाजपा सांसद नवीन जिंदल जी ने बुधवार को संसद में कहा कि रिफाइंड तेल के बार बार उपयोग करने से पोषक तत्व खत्म हो जाते है और हानिकारक ट्रांस फैट उत्पन्न होते है जिससे हार्ट अटैक, डायबिटीस और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है जिसके उपयोग अत्यधिक हो रहा है। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में बहुत ज्यादा मात्रा में केमिकल, प्रिजर्वेटिव और हानिकारक फैट होते है।

मध्यप्रदेश विधानसभा में के दौरान 24 मार्च 2025 को भाजपा विधायक ने अभिलाष पाण्डेय ने भी प्रदेश में खाद्यान्न में मिलावट का मुद्दा उठाया।जांच के कम नमूनों की जांच , जंक फूड में बच्चों को एडिक्ट बनाने के लिए हानिकारक अन्य खाद्य पदार्थों, सॉल्ट, विनेगर अजीनोमोटो जैसे हानिकारक केमिकलों का उपयोग किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में पिछले साल मात्र 13923 नमूने लिए गए थे जिसमें 705 नमूने अमानक पाए गए। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जी द्वारा भी इसे गंभीरता से लेने का आग्रह किया गया।

सरकारों को इस के लिए फूड ऑफिसर्स की संख्या बढ़ाने , जांच नमूनों की संख्या बढ़ाने और सही समय पर जांच रिपोर्ट आ जाए इसके लिए कठोर नियम बनाने और कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है।

विकसित भारत के लिए लोगों का स्वस्थ होना जरूरी है इसके लिए एक प्रभावी खाद्य नियामक ढांचा तैयार करने की आवश्यकता है।

 

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