भगवान विष्णु के तीसरे अवतार श्री वराह की पावन जयंती पर विशेष , सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

मलेच्छ संहारक धर्म उद्धारक भगवान श्री विष्णु के वराह अवतार को पृथ्वी का उद्धारक माना जाता है।
विज्ञान से सहस्त्रों वर्ष पूर्व हमारे शास्त्रों ने पृथ्वी को गोल बताया । जिसको श्री वराह अपने दोनों दांतों में उठाए हुए हैं।
श्री वराह ने दैत्य हिरण्याक्ष नमक दैत्य का वध कर पृथ्वी को समुद्र से बाहर निकाला था।
श्री वराह को धर्म, न्याय और सृष्टि संतुलन का प्रतीक के रूप में माना जाता है।
श्री वराह का मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के मझौली में श्री वराह जी का एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है।जिसके बारे मैं मान्यता है कि श्री वराह की मंदिर में स्थापित मूर्ति एक स्वप्न के बाद वहां के एक मछुआरे को छोटे रूप में मिली। जिसे उसने एक छोटे स्थान पर रख दिया लेखी रात भर में मूर्ति का आकार काफी बढ़ गया, बार बार जगह बदलने के बाद भी मूर्ति ने उसी जगह के अनुरूप अपना कद बढ़ाया। फिर लोगों द्वारा विचार कर एक मंदिर में स्थापित किया गया कह भी मूर्ति लगातार बढ़ती रही। मंदिर के शिखर से बाहर न आ जाए इसलिए लोगों ने चिंतन कर मूर्ति के सिर पर एक कील को ठोक दिया। तब जाकर मूर्ति का बढ़ाना रुक गया। तब से मंदिर में लोगों ने नित्य पूजा अर्चना कर सभी को इस रहस्य से अवगत कराया।



