मध्य प्रदेश

बच्चों में बौद्धिक क्षमताओं-भावनात्मक विकास और सामाजिक कौशल को विकसित करता स्कूल शिक्षा विभाग

भोपाल 
स्कूली शिक्षा बच्चे के विकास में एक महत्वपूर्ण चरण है, जो उनके भविष्य को आकार देने वाली आधारभूत ज्ञान और कौशल प्रदान करती है। आमतौर पर गणित, विज्ञान, भाषा, कला और सामाजिक अध्ययन जैसे विभिन्न विषयों में औपचारिक निर्देश शामिल होते हैं। सिखाने के इस चरण का उद्देश्य बौद्धिक क्षमताओं, भावनात्मक विकास और सामाजिक कौशल को विकसित करना है। प्रदेश में इन्हीं उद्देश्यों को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। स्कूली शिक्षा अनुशासन, टीमवर्क और समस्या समाधान जैसे मूल्यों को भी बढ़ावा देती है, जिससे बच्चों को अकादमिक और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलती है। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्ष 2020 का क्रियान्वयन भी प्रभावी तरीके से किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्यों की श्रेणी में आता है।

प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह के कुशल मार्गदर्शन में नवाचारों के साथ कई प्रभावी कदम उठाये गये हैं। इसका प्रभाव यह हुआ है कि प्रदेश के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण एवं सर्वांगीण शिक्षा प्रदान की जा रही है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 में स्कूल शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के 2023-24 में कुल बजट का 92.12 प्रतिशत उपयोग किया गया था, जबकि वर्ष 2024-25 में प्रावधान किये गये बजट का 95.12 प्रतिशत व्यय किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3.48 प्रतिशत अधिक है। बजट में प्रावधान की गई राशि का उपयोग बच्चों की शिक्षा की बेहतरी के लिये किया गया।

प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड की कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षाओं में 76 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हुए, जो पिछले वर्ष के 58 प्रतिशत से 18 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि बच्चों में बढ़ी शैक्षणिक योग्यता को दर्शाती है। इसी तरह 12वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम पिछले वर्ष में 64 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष 74 प्रतिशत आया है, जो 10 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। प्रदेश के 53 प्रतिशत बच्चों ने कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है। प्रदेश में बोर्ड परीक्षाएं शून्य प्रतिशत पेपर लीक के साथ संपन्न हुई।

प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है। नई शिक्षा नीति में विभिन्न समितियों का गठन भी किया गया है। इन समितियों की अनुशंसा के अनुसार मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। भारतीय मूल्यों, संस्कृति आधारित शिक्षा के लिये स्कूल शिक्षा विभाग ने कई उल्लेखनीय कदम उठाये हैं। प्रदेश की शालाओं में गुरूओं को सम्मान प्रदान करने के लिये गुरू पूर्णिमा उत्सव का आयोजन, जन्माष्टमी पर्व, गीता महोत्सव और मकर संक्रांति पर्व विद्यालयों में आयोजित किये गये। कक्षा 11 और 12 में कला और संस्कृति पर आधारित प्रोजेक्ट जोड़े जा चुके हैं। स्थानीय भाषाओं गोंडी, सहरिया, बारेली, निमाड़ी, बुंदेली, बघेली में तैयार की गई त्रिभाषा पुस्तकें 21 जिलों में 89 जनजातीय विकासखंडों में उपलब्ध कराई गई हैं।

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के लिये अनेक योजनाओं का फायदा दिलाया जा रहा है। नि:शुल्क पाठ्यक्रम योजना में शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत करीब 82 लाख बच्चों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के करीब 60 लाख बच्चों को डीबीटी के माध्यम से राशि प्रदान की गई। कक्षा 1 से 12वीं में अध्ययनरत एससी, एसटी, ओबीसी और बीपीएल के 66 लाख बच्चों को विगत वर्ष छात्रवृत्ति के रूप में 332 करोड़ रूपये की राशि उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की गई है। नि:शुल्क साइकिल वितरण योजना में कक्षा 6 और 9 के करीब 4 लाख 75 हजार बच्चों को घर से स्कूल तक आने जाने के लिये साइकिल वितरित की गई हैं। प्रदेश में कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक अर्जित करने वाले 89 हजार 801 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को करीब 224 करोड़ 25 लाख रूपये की राशि प्रोत्साहन स्वरूप टेबलेट क्रय करने के लिये उनके बैंक खातों में अंतरित की गई है।

सरकारी स्कूलों में बच्चों को पूर्व प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने के लिये 4 हजार 473 सरकारी स्कूलों में पूर्व प्राथमिक कक्षाएं शुरू की गई हैं। इन कक्षाओं में 3 वर्ष 6 वर्ष तक के आयुवर्ग के 96 हजार बच्चों को पिछले वर्ष दाखिला कराया गया था। इन कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने के लिये 117 मास्टर ट्रेनर्स और 4473 शासकीय शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलाया गया। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 एवं 2 के छात्रों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान प्रभावी तरीके से देने के लिये मिशन अंकुर संचालित किया जा रहा है। इस मिशन के अंतर्गत बच्चों को अभ्‍यास के लिये नि:शुल्क वर्कबुक का वितरण किया गया। अंकुर मिशन में अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित करने और बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भाषा विकास की क्षमताओं का आकलन करने के लिये सभी स्कूलों में फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी (एफएलएन) मेलों का आयोजन किया गया। शिक्षकों को अपनी कक्षा अनुभवों, ज्ञान, कौशल एवं नवाचारों को अपने शिक्षक समुदाय से साझा करने के लिये कक्षा एक से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिये जन शिक्षा केन्द्र स्तर पर शैक्षिक संवादों का आयोजन किया गया।

 

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