‘पुतिन हमारे सबसे प्रिय कॉमरेड…’,किम जोंग उन का पुतिन को संदेश- हमेशा रूस के साथ खड़ा रहेगा उत्तर कोरिया

फियोंगयांग
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भेजे संदेश में कहा कि उनका देश हमेशा मास्को के साथ खड़ा रहेगा. उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी. केसीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, 'रशियन डे' (रूस की स्वतंत्रता का जश्न मनाने वाला दिन) के मौके पर पुतिन को भेजे गए संदेश में किम ने रूसी राष्ट्रपति को अपना 'सबसे प्रिय मित्र' कहा. उन्होंने उत्तर कोरिया और रूस के द्विपक्षीय संबंधों की प्रशंसा करते हुए इसे 'दोनों साथियों के बीच वास्तविक संबंध' बताया.
किम के हवाले से कहा गया, 'डीपीआरके सरकार और मेरी अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति डीपीआरके-रूस संबंधों को आगे बढ़ाने की है.' डीपीआरके का मतलब उत्तर कोरिया का आधिकारिक नाम 'डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया' है. केसीएनए ने बुधवार (11 जून) को बताया कि किम जोंग उन ने पुतिन को रूस दिवस की बधाई भेजी है. इस साल की शुरुआत में, प्योंगयांग ने पहली बार पुष्टि की थी कि उसने महीनों की चुप्पी के बाद नेता किम जोंग उन के आदेश पर यूक्रेन युद्ध में रूस के लिए लड़ने के लिए अपनी सेना भेजी थी.
उत्तर कोरियाई नेता लगातार रूस का समर्थन करते रहे हैं. इससे पहले किम जोंग उन ने पुतिन को बिना शर्त समर्थन देने का वादा किया था. केसीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, 'पुतिन के प्रमुख सुरक्षा सहयोगी सर्गेई शोइगु के साथ प्योंगयांग में एक बैठक के दौरान किम ने कहा कि उत्तर कोरिया रूस औरसभी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मामलों पर उसकी विदेश नीतियों का बिना शर्त समर्थन करेगा.' दोनों देशों ने अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के शक्तिशाली और व्यापक संबंधों में बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.
ब्लूमबर्ग न्यूज ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और जापान सहित 11 देशों की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 2024 में, उत्तर कोरिया ने रूस को कम से कम 100 बैलिस्टिक मिसाइलें भेजी थीं. रूस ने इन मिसाइलों का इस्तेमाल यूक्रेन में नागरिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करने और कीव और जापोरिज्जिया जैसे आबादी वाले क्षेत्रों पर हमले करने के लिए किया था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्योंगयांग ने 2024 के अंत में पूर्वी रूस में 11,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया था, जिन्हें सुदूर-पश्चिमी कुर्स्क ओब्लास्ट में ले जाया गया, जहां उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ रूसी सेना के साथ युद्ध अभियानों में शिरकत की.