मध्य प्रदेश

सिंहस्थ 2028 की तैयारी: किसानों और जमीन मालिकों को दो साल बाद लौटाई जाएगी जमीन, बनी सहमति

उज्जैन 

 उज्जैन सिंहस्थ वाले प्लान से सरकार ने लैंड पुलिंग को बाहर कर दिया है। सिंहस्थ 2028 के लिए इसी आधार पर प्लानिंग की थी, इस पर आगे बढ़ने से पहले कई बाधाएं आई, जिसका नए सिरे से परीक्षण कराया गया और लोगों से फीडबैक लिए। केंद्रीय नेतृत्व से भी राय ली, उसके बाद तय किया कि पहले की तरह ही मेला क्षेत्र में काम होंगे।

इसके लिए दो साल के लिए ही जमीन ली जाएगी, उस पर अस्थाई काम होंगे। सिंहस्थ खत्म होने के बाद जमीन लौटा दी जाएगी। 2016 के सिंहस्थ के लिए करीब 3200 हेक्टेयर जमीन ली थी, इसमें से कुछ हेक्टेयर का उपयोग नहीं हुआ था। इस बार भी इतनी ही जमीन ली जाएगी और उसका 100 फीसद क्षेत्रफल उपयोग किया जाएगा।

बन गई सहमति

सरकार पूर्व की तरह अखाड़ों, धार्मिक संस्थाओं व साधु-संतों को पूरी तरह विकसित करके अस्थाई प्लाट देगी, लेकिन किसी को स्थाई तौर पर जमीन नहीं दी जाएगी। हालांकि इनके पास पूर्व से मौजूद निजी जमीन में से कुछ हिस्से पर स्थाई निर्माण की अनुमति विशेष शर्तों के तहत दी जाएगी। सरकार बीच का रास्ता निकाल रही है। किसानों व जमीन मालिकों को निराश नहीं किया जाएगा, जो जमीन प्लानिंग के लिए बहुत उपयोगी होगी, उसे ही आम अधिग्रहण की तरह लिया जाएगा। सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने उसी तर्ज पर काम किया और लगभग सहमति बन गई है।

सरकार के सामने ये चुनौतियां बरकरार

अस्थाई निर्माण में बांस: बल्लियों का उपयोग होता है। बड़ी मात्रा में टीन की चादरें लगती हैं। चूंकि सिंहस्थ का आयोजन गर्मियों में होता है, तब कई बार चक्त्रस्वात की स्थिति बनती है और अस्थायी निर्माण में शेड के लिए उपयोग किए टीन के चादर हवा के साथ उड़ जाते हैं, आम श्रद्धालुओं को नुकसान पहुंचने की आशंका बनी रहती है।

खानपान व स्वास्थ्य सुविधा: इसके लिए पक्के भवनों की जरुरत है। अस्थाई शेड व निर्माण स्थलों पर कई तरह का खतरा रहता है। आग लगने जैसी संभावित अप्रिय स्थिति पैदा होने का प्रबल खतरा रहता है। प्रयागराज कुंभ में आग लगने जैसी घटना हो चुकी है। ऐसे अस्थाई निर्माणों को तेजी से नुकसान पहुंचता है।

सुझाव: कम से कम जमीन पर स्थाई निर्माण हो। जब इस फार्मूले पर अमल होगा तो स्वाभाविक है कि जमीन की जरुरत कम से कम होगी।

सरकार ने ये किया: सरकार इसी दिशा में बढ़ी। किसानों की जमीन पर जबरन की प्लानिंग को हटा दिया है।

सुझाव: अभी जो प्लानिंग खाली खेतों पर निर्माण को लेकर की थी, उसका स्थान बदला जाए। ताकि सिंहस्थ के लिए किसानों की जमीन की जरुरत कम से कम पड़े।

सरकार ने ये किया: स्थाई निर्माण शिप्रा नदी के किनारों और श्रद्धालुओं के आवागमन क्षेत्र तक।

सुझाव: सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए आसपास के जिलों में भी प्रबंध हों, वहां से सिंहस्थ क्षेत्र तक आवागमन के ज्यादा विकल्प दिए जाएं। ताकि भीड़ प्रबंधन में आसानी हो।

सरकार ने ये किया: उज्जैन से सटे जिलों में श्रद्धालुओं के लिए बड़े स्तर पर सुविधाएं विकसित करने का निर्णय लिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button