नीतीश कुमार की कुर्सी पर खतरा ! पूरे NDA का होश उड़ाने वाला ताजा सर्वे

पटना
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सामाजिक न्याय के मुलम्मे में जातीय समीकरण एक जिताऊ फैक्टर हो सकते है। इस समीकरण में वोट बैंक के गणित में जो गठबंधन पिछड़ा समझ लीजिए सत्ता की कुर्सी उतनी ही दूर होती चली जाएगी। पर इससे इतर इस चुनाव में एक और फैक्टर प्रभावी हो सकता है। और वह फैक्टर है एंटी इनकंबेंसी का। इसका खतरा सत्ताधारी दल को रहता है। बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में यह खतरा नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ रही पार्टियों को हो सकती है। लगभग 20 वर्षों के नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रित्व काल पर क्या एंटी इनकंबेंसी का खतरा मंडरा रहा है? इस बिंदु पर 'आईओएन भारत' का ताजा सर्वे आया है।
5340 अति पिछड़ी जातियों को बनाया सर्वे का आधार
सेफोलॉजिस्ट रामबन्धु वत्स ने बिहार के 5340 अति पिछड़ी जातियों के वार्ड पार्षदों के वॉइस सैम्पल बनाया और उन सभी से सवाल पूछे गए और उनके जीवन के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इन कंबेंसी है।
क्या नीतीश कुमार की लोकप्रियता में कमी आई
'आईओएन भारत' के सेफोलॉजिस्ट रामबंधु वत्स ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदा लोकप्रियता और सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी को लेकर यह सर्वे किया है। एंटी इनकंबेंसी को समझने में ‘आईओएन भारत’ ने सरकार के प्रति बेरोजगारी, नौकरशाहों की मनमानी,विकास कार्यों में लापरवाही, भूमि सर्वे, रिश्वतखोरी,कानून-व्यवस्था की गिरती स्थिति, शराबबंदी, बालू खनन तथा सरकारी टेंडर में पक्षपात, भूमि विवाद जैसे सवाल बनाए। इनकी ताजा सर्वे के अनुसार बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है और लोकप्रियता में कमी भी आई है। राज्य में सरकार के प्रति जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी है।
63 प्रतिशत लोग नीतीश सरकार के कामकाज से नाराज
सर्वे के अनुसार 63 प्रतिशत लोग सरकार के कामकाज से नाराज हैं जबकि 16 प्रतिशत लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं। साथ ही 21 प्रतिशत लोगों ने ‘पता नहीं’ वाले विकल्प को चुना है।
एंटी इनकंबेसी के कारण
सेफ्लॉजिस्ट राम बंधु वत्स ने एंटी इनकंबेसी के कारण पर एनबीटी से खुल कर बात भी की। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिगड़े स्वास्थ्य को लेकर सरकार पर हमलावर रही हैं। स्वास्थ्य कारणों से नीतीश कुमार न तो सरकार चला पा रहे हैं और न ही उनके हाथों में अब जेडीयू की कमान है। जेडीयू के सारे फैसले बिना नीतीश कुमार की सहमति के ही दूसरे नेताओं की ओर से लिया जाता है। भूमि विवाद के कारण ही सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी है। राज्य में जमीन के मसले में हो रहे भ्रष्टाचार, धड़ल्ले से बन रहे नकली कागजातों और जमीनी विवाद के कारण हो रहे हत्याकांड के मामले के कारण ही सरकार के प्रति लोगों के मन में आक्रोश है।
अतिपिछड़ों के बीच सीएम चेहरे के रूप में नीतीश ?
इस सर्वे के अनुसार 34 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया है कि वो लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के चेहरे पर मतदान करेंगे। 19 प्रतिशत लोगों ने मतदान करने से इनकार किया है। इसके साथ ही 47 प्रतिशत लोगों ने ‘पता नहीं’ वाले विकल्प को चुना है। इससे यह अनुमान किया जा सकता है कि 47 प्रतिशत लोगों के बीच नीतीश कुमार की लोकप्रियता में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। 19 प्रतिशत लोगों में उनकी लोकप्रियता खत्म हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में सच हुआ सर्वे
सेफोलॉजिस्ट राम बन्धु वत्स इसके पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान भी सर्वे किया था। तब इस सर्वे की खूब चर्चा हुई थी। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को ले कर पहला सर्वे वर्ष 2018 में आया। इस सर्वे के जरिए यह आकलन सामने आया कि धान की ख़रीदगी में पैक्स में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है। और इस मुद्दे पर भाजपा की रमण सरकार की हार हुई थी। फिर साल 2023 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतों, सतनामी समाज के वोटिंग पैटर्न में भाजपा के पक्ष में बदलाव होने की भविष्यवाणी की गई थी और इस चुनाव में भाजपा की जीत हुई।