देश

लोकसभा ने पास किया ऑनलाइन गेमिंग बिल, सरकार ने ऑनलाइन बेटिंग वाले ऐप्स पर कड़ा कदम उठाया

नई दिल्ली

सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को रेग्युलेट करने वाला महत्वपूर्ण बिल लोकसभा से पास हो गया है. इसका मकसद ऑनलाइन मनी गेम्स और सट्टेबाजी पर पूरी तरह से बैन लगाना और ई-स्पोर्ट्स व सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है. एक अनुमान के मुताबिक, हर साल करीब 45 करोड़ लोग इन ऑनलाइन मनी गेम्स के चक्कर में फंसकर 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक गंवा देते हैं.  

भारत ने मोदी सरकार के कार्यकाल में बीते एक दशक में यूपीआई, सेमीकंडक्टर से लेकर 5जी टेक्नोलॉजी में तेजी से डेवलप किया है. हमारे देश में जो डिजिटल क्रांति आई है उसे देख दुनिया भी हैरान है. डिजिटल दुनिया में भारत ने तेजी से कदम बढ़ाए हैं. लेकिन, इसी तेजी के बीच ऑनलाइन गेमिंग की अंधेरी दुनिया में खतरे भी कई गुना बढ़ गए हैं. इसलिए मोदी सरकार ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव लाने जा रही है. बुधवार को मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में 'प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025' को पेश किया गया. 

प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 भी कहा जा रहा है. सरकार का उद्देश्य इसके पीछे असली पैसे वाले खेलों पर लगाम लगाना है. साथ ही ई-स्पोर्ट्स और स्किल-बेस्ड सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है. 

आने वाले समय में फैंटेसी लीग, कार्ड गेम्स, ऑनलाइन लॉटरी, पोकर, रमी और सट्टेबाजी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने जा रही है. इनसे जुड़ी फाइनेंशियल लेन-देन और एडवरटाइजमेंट भी अब अपराध के कैटेगरी में आएंगे. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए कैबिनेट बैठक में ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दे दी गई थी. 

  •     ऑनलाइन मनी गेमिंग को बैन करने के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा में अहम विधेयक पेश किया है.
  •     हर साल अनुमानित 45 करोड़ लोग ऑनलाइन मनी गेम्स की लत में फंसकर आर्थिक नुकसान करते हैं.
  •     इन गेम्स की वजह से भारत में लोगों को हर साल 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होता है.

सरकार क्यों लाई ये विधेयक?

केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग से लोगों को हो रहे वित्तीय और सामाजिक नुकसान को रोकने के लिए यह बिल लाई है. इसका नाम प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 है. सरकारी अनुमानों के मुताबिक, हर साल करीब 45 करोड़ लोग ऑनलाइन मनी गेम्स के जाल में फंसकर नुकसान उठाते हैं. इन गेम्स की लत सिर्फ पैसों का नुकसान ही नहीं बल्कि एक सामाजिक संकट बन चुकी है. 

सरकारी सूत्रों ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार, इन गेम्स की वजह से आम लोगों को हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. इसकी लत की वजह से सैकड़ों परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं. कई तो आत्महत्या और हिंसा जैसा गंभीर कदम भी उठा लेते हैं. 
ऑनलाइन गेमिंग बिल के 3 प्रमुख हिस्से

ई-स्पोर्ट्स: इस बिल के जरिए ई-स्पोर्ट्स को पहली बार कानूनी मान्यता दी जा रही है. अब तक देश में ऑनलाइन स्पोर्ट्स गेम्स का कोई कानूनी आधार नहीं है. 

ऑनलाइन सोशल गेम्स: सरकार ने ऑनलाइन सोशल गेम्स को कानूनी मान्यता देने का प्रस्ताव रखा है. ये गेम्स आम लोगों के एजुकेशन के काम आते हैं

ऑनलाइन मनी गेम्स: ऐसे ऑनलाइन गेम, जिनमें पैसों का लेन-देन होता है, उन पर बैन लगाने का प्रस्ताव है. इन गेम्स को प्रमोट करने वाले और ऐसी गेमिंग सर्विस देने वाली कंपनियों पर भी सख्त कार्रवाई के प्रावधान हैं. ऑनलाइन मनी गेम्स का प्रचार करने वालों और फंड ट्रांसफर करने वालों पर भी गाज गिरेगी. 
नियम तोड़ने पर कितनी होगी सजा?

    ऑनलाइन मनी गेमिंग सर्विस देने वालों को तीन साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
    ऑनलाइन मनी गेम्स का विज्ञापन करने वालों को दो साल तक की जेल या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकेगा.
    अगर कोई बार-बार नियमों का उल्लंघन करता है तो उसकी सजा बढ़कर पांच साल तक हो सकेगी, जुर्माना भी ज्यादा लगेगा. 

ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) के चीफ एग्जिक्यूटिव रोलैंड लैंडर्स के मुताबिक, यह सेक्टर अब 2 खरब रुपये तक बढ़ चुका है. वित्त वर्ष 2025 में इस सेक्टर को 31 हजार करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल हुआ था और 20 हजार करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का भुगतान किया गया था. 

लैंडर्स के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष तक भारत में 50 करोड़ से अधिक लोगों ने ऑनलाइन गेमिंग सर्विस का इस्तेमाल किया था. उनका कहना है कि इस बिल के कानून बनने से 400 से ज्यादा कंपनियां बंद हो सकती हैं और दो लाख से ज्यादा नौकरियां खत्म हो जाएंगी. 

कड़ाई क्यों जरूरी?

सरकारी सूत्रों ने बताया है कि ये प्लेटफॉर्म केवल गेम्स नहीं हैं. बल्कि ये लोगों को मनोवैज्ञानिक जाल में फंसाते हैं और लोग इसकी लत के शिकार हो जाते हैं. उन्हें वित्तीय घाटा भी होता है. कई मामले तो ऐसे भी हैं जिसमें लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं. 

इसके साथ ही इन प्लेटफॉर्म के जरिए दूसरे देश से अवैध रूप से भारत में पैसे आते हैं (मनी लॉन्ड्रिंग), आतंकियों को फंडिंग और डिजिटल धोखाधड़ी की जाती है.

बिल के बड़े प्रावधान क्या हैं?

ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: वैध खेल के रूप में मान्यता, ट्रेनिंग, नीति समर्थन और इवेंट्स.

सोशल और शैक्षिक गेम्स को मंजूरी: जो सीखने, जागरूकता और सकारात्मक उपयोग को बढ़ाएं.

रियल मनी गेम्स पर प्रतिबंध: ऑफर, विज्ञापन और लेन-देन सब बैन.

ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी: राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी, रजिस्ट्रेशन और कार्रवाई की ताकत.

कड़े दंड: ऑपरेटरों को 3 साल तक जेल और 1 करोड़ तक जुर्माना. विज्ञापन करने वालों को 2 साल जेल और 50 लाख जुर्माना. बार-बार अपराध करने वालों पर 5 साल तक की सजा और 2 करोड़ तक का दंड.

कॉर्पोरेट पर भी शिकंजा

इस बिल के पास होने के बाद इसके ज़रिए कॉर्पोरेट पर भी शिकंजा कसा जाएगा. कंपनी के अधिकारी और मैनेजमेंट सीधे जिम्मेदार होंगे. हालांकि स्वतंत्र निदेशकों को बचाव मिलेगा. 

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के साथ इसके प्रावधान को जोड़े गए हैं. जिसके तहत जांच एजेंसियां बिना वारंट सर्च, सीज और गिरफ्तारी कर पाएंगी.

ये बिल क्यों है जरूरी?

रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: यह बिल भारत को वैश्विक गेमिंग और टेक एक्सपोर्ट का नया हब बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगा.

युवा सशक्तिकरण: ई-स्पोर्ट्स, स्किल-बेस्ड गेम्स और डिजिटल लिटरेसी को मिलेगा इंस्टीट्यूशनल सहयोग और सरकारी बढ़ावा.

परिवारों की सुरक्षा: धोखेबाज और लत लगाने वाले रियल-मनी गेमिंग ऐप्स से परिवारों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान से बचाया जाएगा.

वैश्विक नेतृत्व: जिम्मेदार और संतुलित डिजिटल गेमिंग नीति के जरिए भारत दुनिया के सामने एक मॉडल प्रस्तुत करेगा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button