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इजरायल ने सभी फ्लाइट्स के लिए बंद किया अपना एयरस्पेस

तेल अवीव
 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों के तुरंत बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर महत्वपूर्ण बातचीत की. इस हमले के बाद इजरायल ने सुरक्षा कारणों से अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा की कड़ी सतर्कता का संकेत मिलता है.

इजरायल की टीपीएस समाचार एजेंसी के अनुसार, व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि ट्रम्प और नेतन्याहू के बीच यह संवाद अमेरिकी ऑपरेशन के सफल निष्पादन के तुरंत बाद हुआ. एबीसी की रिपोर्ट बताती है कि यह हमला लगभग एक साल पहले अमेरिका और इजरायल द्वारा मिलकर किए गए सैन्य अभ्यास का हिस्सा था, जिसमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लक्ष्य बनाया गया था.

नेतन्याहू ने एक हिब्रू वीडियो बयान में कहा कि अमेरिकी ऑपरेशन पूरी तरह से इजरायल रक्षा बलों (IDF) के साथ समन्वय में किया गया था. उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने ईरान की परमाणु सुविधाओं को नष्ट करने का वादा पूरा किया है. उनकी यह प्रतिक्रिया उस वादे की पूर्ति के रूप में देखी जा रही है जो उन्होंने ईरान के परमाणु हथियार बनने से रोकने के लिए दिया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू ने हमले के दौरान और उसके बाद पांच घंटे तक शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, सेना प्रमुख और मोसाद के प्रमुख मौजूद थे. यह बैठक रणनीति और क्षेत्रीय सुरक्षा की समीक्षा के लिए आयोजित की गई थी.

राष्ट्रपति ट्रम्प ने व्हाइट हाउस से दिए अपने संबोधन में इस सैन्य हमले को "शानदार सफलता" बताया और कहा कि ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों — फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान — को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है. उन्होंने ईरान को चेतावनी दी कि यदि वह शांति बनाए रखने में विफल रहता है तो अमेरिका उसके अन्य ठिकानों पर भी हमले कर सकता है. ट्रम्प ने कहा, "हमारा लक्ष्य था ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को समाप्त करना और दुनिया में आतंक के सबसे बड़े प्रायोजकों में से एक द्वारा उत्पन्न खतरे को रोकना."

दूसरी ओर, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इस हमले को कड़ी निंदा करते हुए चेतावनी दी कि यदि अमेरिका और इजरायल ने ईरान के खिलाफ सैन्य हस्तक्षेप जारी रखा तो इससे "निस्संदेह अपूरणीय क्षति" होगी. इस बयान ने मध्य पूर्व की सुरक्षा स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है.

इस घटना से स्पष्ट होता है कि मध्य पूर्व में सुरक्षा और कूटनीति दोनों ही स्तर पर तनाव बढ़ रहा है, और अमेरिकी-इजरायल सहयोग ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

 एयरलाइंस ने ईरान, इराक, सीरिया और इजराइल के ऊपर से उड़ान भरने से साफ मना किया 

मध्य पूर्व का तनाव अब जमीन से निकलकर आसमान में छा गया है। ईरान और इजरायल के बीच कई दिनों से चल रही मिसाइल जंग में अब अमेरिका की भी एंट्री हो गई है। अमेरिका ने रविवार को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर इस संघर्ष को और भड़का दिया। इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय एयरस्पेस पर दिखने लगा है। कई एयरलाइंस अब ईरान, इराक, सीरिया और इजराइल जैसे संवेदनशील इलाकों के ऊपर से उड़ान भरने से साफ मना कर रही हैं।

फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट FlightRadar24 के मुताबिक, ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद इस क्षेत्र के ऊपर से कॉमर्शियल फ्लाइट्स की आवाजाही लगभग ठप हो गई है। विमान अब लंबा रास्ता चुनने को मजबूर हैं—कोई कैस्पियन सागर से उत्तर की ओर मुड़ रहा है, तो कोई मिस्र और सऊदी अरब के जरिए दक्षिण की ओर। इससे न सिर्फ उड़ानों का समय बढ़ गया है बल्कि ईंधन और कर्मचारियों की लागत भी कई गुना बढ़ गई है।

अमेरिकी हमले के बाद सुरक्षा जोखिम और बढ़ गए हैं

13 जून को जब इजरायल ने पहली बार ईरान पर हमला किया, तभी से कई एयरलाइंस ने मध्य पूर्व की उड़ानों को निलंबित कर दिया था। अब अमेरिका के हमले के बाद सुरक्षा जोखिम और बढ़ गए हैं। FlightRadar24 ने सोशल मीडिया पर कहा है कि यह स्थिति पिछले सप्ताह से ही बनी हुई है, जब नए नो-फ्लाई जोन घोषित किए गए थे।

इस तनाव के बीच कई देशों ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने की प्रक्रिया तेज कर दी है। जापान ने रविवार को जानकारी दी कि उसने 16 जापानी नागरिकों सहित 21 लोगों को ईरान से अजरबैजान जमीन के रास्ते सुरक्षित निकाला। यह बीते चार दिनों में दूसरी सफल निकासी रही। उधर, न्यूजीलैंड सरकार ने भी मध्य पूर्व में अपना हरक्यूलिस सैन्य विमान तैनात कर दिया है, जो सोमवार को ऑकलैंड से रवाना हुआ।

इजरायल की दो प्रमुख एयरलाइंस—एल अल और अर्किया – ने भी अपनी सभी बचाव उड़ानें रोक दी हैं। एल अल ने तो 27 जून तक की सभी निर्धारित उड़ानों को भी रद्द कर दिया है। वहीं, इजरायल के एयरपोर्ट अथॉरिटी ने ऐलान किया है कि देश का हवाई क्षेत्र अगली सूचना तक पूरी तरह से बंद रहेगा। हालांकि, मिस्र और जॉर्डन से जमीनी आवाजाही चालू रहेगी।

जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, वैसे-वैसे दुनिया भर की एयरलाइंस ज्यादा सतर्क हो रही हैं। ड्रोन और मिसाइलों से भरे इस माहौल में हवाई उड़ान अब सिर्फ दूरी का नहीं, जिंदगी का भी सवाल बनती जा रही है।

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