धर्म अध्यात्म

कल से शुरु हो रहा भारत का नववर्ष विक्रम संवत् 2082 जो ग्रेगोलियन कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है।

हिंदू नववर्ष विक्रम संवत् 2082 कल से शुरू हो रहा । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाले इस नववर्ष से ही चैत्र नवरात्र भी शुरू हो रही है।

उज्जयिनी जिसे वर्तमान में उज्जैन के नाम से सभी जानते है वहां के चक्रवर्ती राजा विक्रमादित्य के द्वारा इस पंचांग को प्रचलित किया गया। कल विक्रम संवत् 2082 शुरू हो रहा ही जो कि ग्रेगोलियन वर्ष 2025,  से 57 वर्ष आगे है।हिंदू पंचांग चंद्रमा की गति और सूर्य के परिवर्तन के आधार पर तय किया जाता है। भारत में आजादी के बाद बहुत सारे हिंदू पंचांग प्रचलन में थे जो कि अलग अलग काल निर्णायकों और ज्योतिषीय गणना के आधार पर थे। 1957 में भारत सरकार ने एक पंचांग सुधार समिति बनाई जिसकी सिफारिश के बाद चन्द्रसूर्य पंचांग जिसमे हर चौथे वर्ष अधिमास जोड़ा जाता था उसे आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी। राष्ट्रीय गौरव, हिंदू संस्कृति की महानता का बोध और भावनात्मक महत्व के कारण विक्रम संवत् को प्रचलन में लिया गया।

विक्रम संवत् के अनुसार ही हमारे सभी धार्मिक अनुष्ठान, तीज त्योहार की तिथि तय होती है।हिंदू पंचांग में पहला महीना चैत्र का माना जाता है , हिंदू  पंचांग चंद्रमास पर आधारित है इसलिए एक निश्चित तिथि न होकर अलग अलग तिथि से शुरू होता है। प्रकृति भी इसी महीने से पेड़ पौधें लताओं को पल्लवित व पुष्पित करती है।जो कि जीवन में नया पन लाता हुआ।हिंदू नववर्ष का पर्व हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति से जुड़ा है जो हमें नई उम्मीद, संकल्पनाओं और नए उत्साह से भर देता है।

भारत से साथ साथ नेपाल में भी हिंदू पंचांग की ही मान्यता है।

महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए पंचांग की रचना की है।

 

 

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