छत्तीसगढ़

भिलाई में STF ने 4 दिन के भीतर दूसरी कार्रवाई करते हुए बांग्लादेशी दंपती को गिरफ्तार किया

भिलाई

छत्तीसगढ़ के दुर्ग में शुक्रवार को एक बांग्लादेशी दंपति को अवैध रूप से भारत में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान मोहम्मद रसैल शेख (36) और उसकी पत्नी शाहिदा खातून (35) के रूप में हुई है.

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस दंपति को साल 2020 में भी इसी आरोप में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वो जमानत पर बाहर थे. जिला पुलिस की विशेष कार्यबल (STF), जिसे छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान के लिए गठित किया गया है, उसने शुक्रवार को भिलाई के सुपेला स्थित कॉन्ट्रेक्टर कॉलोनी में किराए के मकान से दोनों को हिरासत में लिया.

एसएसपी विजय अग्रवाल ने बताया कि पूछताछ के दौरान शुरुआत में महिला ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की और खुद का नाम ज्योति रसैल शेख और पति का नाम रसैल शेख बताया. उन्होंने दावा किया कि वो मूल रूप से पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के मोमिनपुर गांव के निवासी हैं और साल 2009 से 2017 तक मुंबई-ठाणे में केटरिंग का काम करते थे. 2017 में वो भिलाई आ गए और वहीं काम करने लगे.

हालांकि, जब दोनों के आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों की जांच की गई, तो वो फर्जी पाए गए. सख्ती से पूछताछ करने पर दंपति ने स्वीकार किया कि वो बांग्लादेश के जेसोर जिले के निवासी हैं.

पुलिस के अनुसार, शाहिदा खातून साल 2009 में अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई थी और मुंबई में एक केटरिंग यूनिट में काम करते हुए रसैल शेख से मिली. दोनों कुछ समय के लिए बांग्लादेश लौटे, शादी की और फिर 2017 में वीजा और पासपोर्ट के जरिए भारत लौट आए. बाद में उन्होंने मुंबई में फर्जी दस्तावेजों के जरिए आधार और पैन कार्ड बनवाए.

2017 में दोनों भिलाई में बस गए और यहां भी केटरिंग का काम करने लगे. खातून का वीजा सितंबर 2018 में और शेख का अप्रैल 2020 में समाप्त हो गया. 2020 में उनके खिलाफ अवैध रूप से रहने का मामला दर्ज हुआ था, जिसमें वो जमानत पर थे. शेख के खिलाफ दुर्ग में लूट का एक अन्य मामला भी दर्ज है.

पुलिस ने बताया कि दंपति ने मुंबई के पते की जगह सुपेला का पता दिखाकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते भी खुलवा लिए थे. अब उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, विदेशी नागरिक अधिनियम 1946 और पासपोर्ट अधिनियम 1920 की धाराओं में मामला दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है.

 

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