
चडीगढ़
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पराली जलाने से फैलने वाले धुएं के विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने तं भरे लहजे में कहा कि अगर प्रधानमंत्री, दुनिया भर की जंगों को रुकवा सकते हैं और विश्व गुरु की छवि मजबूत कर रहे हैं, तो पराली का धुआं रोकने में भी क्या दिक्कत है? वे उन सभी राज्यों की बैठक बुला लें जहां यह समस्या प्रबल है, जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान। हम सब अपनी राय रखेंगे, उनके सुझावों पर अमल करेंगे और धुएं की समस्या का स्थायी समाधान निकाल लेंगे। किसानों को बदनाम न करें। प्रधानमंत्री जी कोई वैकल्पिक उपाय या सिफारिश तो पेश करें।
दिल्ली में सिर्फ पंजाब का धुआं क्यों?
इस दौरान मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या दिल्ली में केवल पंजाब का धुआं ही पहुंचता है, हरियाणा का नहीं? उन्होंने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के एक जज के रिटायरमेंट भाषण का हवाला देते हुए कहा कि पराली के धुएं को हमेशा पंजाब से जोड़ा जाता है। लेकिन धुएं को दिल्ली तक पहुंचने के लिए हवाओं को उत्तर से दक्षिण की ओर बहना चाहिए, जो वास्तव में नहीं हो रहा। अभी तो हमारे यहां 70-80 प्रतिशत फसल कटाई भी बाकी है। जब आग लगाई ही नहीं गई, तो धुआं कैसे दिल्ली पहुंच गया? हरियाणा, जो पंजाब से दिल्ली के करीब है, उसका धुआं क्यों नहीं दिखता? क्या धुएं को पता है कि कनॉट प्लेस से आगे न जाएं? यह सब राजनीतिक साजिश है, हमें बदनाम करने की चाल।
'प्रधानमंत्री रैली के साथ-साथ हैं, वोटर खुद बना लेंगे'
भगवंत मान ने यमुना नदी की सफाई पर भी चुटकी ली कि पीएम मोदी के रहते यमुना साफ नहीं हो पा रही। उन्होंने तो अपनी अलग 'मोदी यमुना' ही बना ली है। यमुना को छोड़िए, मोदी जी तो वोटरों को भी अपने बना रहे हैं, लोगों की जरूरत ही क्या बची? वे 'रैली प्रधानमंत्री' भी हैं और सच्चे प्रधानमंत्री भी। जब किसी राज्य में चुनाव आता है, तो वे वहां जाकर कैंप कर लेते हैं। फिलहाल उनकी सक्रियता बिहार में ज्यादा दिख रही है। लेकिन जहां वास्तविक जरूरत है, वहां जाने का समय उनके पास नहीं। प्रधानमंत्री का शेड्यूल तो पीएमओ को संभालना चाहिए।



