मध्यप्रदेश में खाद को खोजता किसान , बारिश में कई दिनों तक घंटों लाइन में लगने पर भी नहीं मिल रही एक बोरी खाद।

खाद संकट: खाद एक खोज
अन्नदाता, जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी माना जाता है उसके प्रति जिम्मेदार लोगो का रवैया कैसा है , किसान खाद संकट की परेशानी से जूझ रहे किसानों की हालत को देख कर लगाया जा सकता।
बारिश में सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक एक बोरी खाद के लिए लाइन में लगने के बाद भी एक बोरी खाद भी नहीं मिल रही। खरीफ फसलों में खाद डालने का ये सही समय है, इस समय पर खाद नहीं मिलने से किसान की फसल को भरी नुकसान होगा , उसकी फसल का उत्पादन कम होगा।
मध्यप्रदेश के शहडोल, रीवा, छिंदवाड़ा जैसे जिलों में दिन भर किसान अपने सभी काम छोड़कर 15 _15 दिनों से लाइन में लगे है। शहर में लोग तो मजे के लिए बारिश में भीगते नजर आते है परन्तु किसान मजबूरी में बारिश में भीग कर डंडे लाठी खाकर अपने हक के लिए लाइन लगा कर खड़ा है।
सरकार किसानों की आय बढ़ाने से लेकर , लाइन से ऑनलाइन तक का सफर करने का दावा करती रहती है ,जो कि इस तरह की तस्वीरों को देखकर खोखला नजर आता है।
इस पूरी समस्या को केंद्रीय खाद मंत्री ने ये कहकर लोकसभा ने समाप्त कर दिया कि चीन से आयात कम हुआ है।
कांग्रेस ने छिंदवाड़ा में ” किसान बचाओ आंदोलन” कर कुत्ते को ज्ञापन सौंप कर विरोध दर्ज कराया है। वहीं कांग्रेस के नेता कमलनाथ ने खाद संकट पर ट्वीट किया है, कि खाद संकट प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि सरकार की अदूरदर्शिता और अधूरी योजना का नतीजा है। कांग्रेस नेता बीजेपी के नेताओं पर यूरिया चोरी का धंधा करने का आरोप लगा रहे है।
खाद संकट की मुख्य वजह काला बाजारी को भी माना जा रहा है , खाद कम्पनियों द्वारा यूरिया 70:30 और डीएपी 75:25 के अनुपात में सहकारी और निजी वितरकों को दी जाती है परन्तु निजी क्षेत्र में वितरण की निगरानी का कोई तंत्र नहीं है।



