
फरीदाबाद
देश की राजधानी दिल्ली के दिल में हुई लाल किला ब्लास्ट की गूंज अब हरियाणा के फरीदाबाद तक पहुंच चुकी है. सोमवार शाम करीब 6:52 बजे लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के पास सफेद i20 कार में धमाका हुआ, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई. जांच में सामने आया कि इस साजिश के तार अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हो सकते हैं.
इसी बीच, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता रद्द कर दी है. AIU ने कहा कि अब यूनिवर्सिटी को AIU का नाम या लोगो इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है. यह फैसला न केवल संस्थान के लिए बड़ा झटका है, बल्कि हजारों छात्रों के करियर पर भी गहरा असर डाल सकता है.
छात्रों के लिए क्या रास्ते बचे हैं?
छात्र फिलहाल UGC और AICTE से मान्यता प्रमाणपत्र लेकर भारतीय विश्वविद्यालयों या सरकारी नौकरियों में आवेदन कर सकते हैं. लेकिन विदेशी एडमिशन के लिए उन्हें AIU समकक्ष सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा. इससे बाहर पढ़ाई मुश्किल हो जाएगी. विशेषज्ञ मानते हैं कि यूनिवर्सिटी को अब सुधारात्मक कदम उठाकर AIU से सदस्यता पुनः प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए.
कैसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी बनी आतंकी साजिश का अड्डा
जांच एजेंसियों के मुताबिक अल-फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 आतंकियों की गुप्त बैठकों का केंद्र थी. बताया जा रहा है कि ये मीटिंग्स रूम नंबर 13 में होती थीं, जहां दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में सीरियल ब्लास्ट की योजना बनाई जा रही थी.
लाल किला ब्लास्ट केस की जांच में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 से आतंकी लिंक सामने आए हैं.
यह कमरा डॉ. मुजम्मिल अहमद गाई का था जो पुलवामा का रहने वाला बताया जा रहा है. जांच में सामने आया कि वह नियमित रूप से कुछ कट्टरपंथी डॉक्टरों और छात्रों से मिलता था. एजेंसियों को संदेह है कि यूनिवर्सिटी की लैब से IED की क्षमता बढ़ाने वाले केमिकल इसी कमरे में लाए गए थे.
फिलहाल पुलिस ने कमरा नंबर 13 को सील कर दिया है, और वहां से लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, कैमिकल कंटेनर, और डिजिटल नोट्स बरामद किए गए हैं.
AIU ने आधिकारिक बयान में कहा-
अल-फलाह यूनिवर्सिटी को अपनी किसी भी गतिविधि में AIU का नाम या लोगो इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है. विश्वविद्यालय की वेबसाइट से तुरंत AIU का लोगो हटाया जाए. AIU के अनुसार यह फैसला संस्था की “Good Standing” नीति के तहत लिया गया है. अगर किसी यूनिवर्सिटी का नाम किसी विवाद, आपराधिक जांच या फर्जी गतिविधि में सामने आता है, तो उसकी सदस्यता निलंबित या समाप्त की जा सकती है.
AIU क्या है और क्यों है इतनी अहम संस्था?
AIU यानी Association of Indian Universities भारत की सबसे पुरानी उच्च शिक्षा संस्था है, जो 1925 में स्थापित हुई थी. यह संस्था भारत के सभी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों (केंद्रीय, राज्य, डीम्ड, निजी, ओपन) का प्रतिनिधित्व करती है और विदेशी डिग्रियों की समानता (Equivalence) तय करती है.
AIU की मुख्य जिम्मेदारियां
भारत के सभी विश्वविद्यालयों को एक शैक्षणिक मंच पर लाना.
विदेशी डिग्रियों की भारतीय स्तर पर वैधता तय करना.
यूनिवर्सिटीज के बीच रिसर्च, नीति और खेल सहयोग बढ़ाना.
विश्वविद्यालयों को सदस्यता, स्पोर्ट्स पार्टिसिपेशन और इंटरनेशनल रिप्रेजेंटेशन देना.
यदि कोई यूनिवर्सिटी विवादों में हो तो उसकी सदस्यता निलंबित या रद्द करना.
AIU सदस्यता रद्द होने के परिणाम
प्रभाव का क्षेत्र संभावित असर
विदेशी शिक्षा विदेशों की यूनिवर्सिटीज में प्रवेश मुश्किल, Equivalence सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा
सरकारी नौकरियां UPSC, SSC, PSU जैसी नौकरियों में आवेदन रुक सकता है
यूनिवर्सिटी की साख प्रतिष्ठा में गिरावट, एडमिशन में 40-50% कमी संभव
रिसर्च फंडिंग अंतरराष्ट्रीय सहयोग और परियोजनाएं ठप
खेलकूद AIU के यूनिवर्सिटी गेम्स से प्रतिबंध
छात्र करियर अनिश्चित, डिग्रियों की वैल्यू घटेगी
अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर असर: साख और भविष्य पर संकट
अल-फलाह यूनिवर्सिटी फरीदाबाद की प्रतिष्ठित निजी यूनिवर्सिटीज में मानी जाती रही है. लेकिन अब इस विवाद और सदस्यता रद्द होने से-
यूनिवर्सिटी की अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां खत्म होंगी,
नए छात्र एडमिशन से कतराएंगे,
खेल और रिसर्च फंडिंग प्रभावित होगी,
और विदेश में डिग्री की वैधता खत्म हो जाएगी.
हालांकि, राहत यह है कि UGC और NMC की मान्यता फिलहाल बरकरार है, इसलिए यूनिवर्सिटी की डिग्रियां घरेलू स्तर पर वैलिड रहेंगी.
दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ आतंकवादी साजिश के तारों से जुड़ने के आरोप, दूसरी ओर AIU सदस्यता का रद्द होना. यह मामला न सिर्फ एक विश्वविद्यालय के भविष्य बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है. अब देखना होगा कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी खुद को इस संकट से कैसे बाहर निकालती है.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी का चांसलर, जानें कहां-कहां से होती है कमाई?
हरियाणा के फरीदाबाद जिले में बसा अल फलाह विश्वविद्यालय हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर जांच के घेरे में आ चुका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके कुछ डॉक्टरों का दिल्ली बम धमकों से संबंध है. जांच जारी रहने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने किसी भी संस्थागत संलिप्तता से इनकार कर दिया है. लेकिन एक बात सबका ध्यान आकर्षित कर रही है वह इसके चांसलर जावेद अहमद सिद्दीकी का व्यवसायिक बैकग्राउंड. आइए जानते हैं की यूनिवर्सिटी के अलावा किन कंपनियों का मालिक है जावेद अहमद सिद्दीकी.
कहां से हुई सफर की शुरुआत
जावेद अहमद सिद्दीकी का सफर 1990 के दशक के अंत में शुरू हुआ. 1990 के दशक के अंत में जावेद अहमद सिद्दीकी ने दिल्ली एनसीआर में कई व्यवसाय स्थापित किए. आज के समय में वह अल फलाह विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में काम करते हैं. इसी के साथ वह अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी भी हैं. यह ट्रस्ट विश्वविद्यालय और स्कूलों, अनाथालय और मदरसों के साथ-साथ कई शैक्षणिक और कल्याणकारी संस्थानों की देखरेख करता है.
जावेद अहमद सिद्दीकी के स्वामित्व और प्रबंधन वाली कंपनियां
भारत के कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड के मुताबिक जावेद अहमद सिद्दीकी 9 पंजीकृत कंपनियों से निर्देशक या प्रबंध प्रमुख के रूप में जुड़े हुए हैं. इनमें अल फलाह इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, अल फलाह सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड, अल फलाह कंसलटेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, अल फलाह एक्सपोर्ट्स लिमिटेड, अल फलाह एनर्जी लिमिटेड, अल फलाह एजुकेशन सर्विस एलएलपी, तरबिया एजुकेशन फाऊंडेशन शामिल हैं. इन सब के अलावा वह शरीका पब्लिक स्कूल, एक अनाथालय और एक मदरसे से भी जुड़े हुए हैं.
आय के स्रोत
जावेद अहमद सिद्दीकी की आय के मुख्य स्रोतों में व्यावसायिक संचालन से प्राप्त हुआ शैक्षिक राजस्व, कॉर्पोरेट उद्यम और ट्रस्ट से हो रही कमाई शामिल है. सॉफ्टवेयर, परामर्श, ऊर्जा और निर्यात क्षेत्र की सिद्दीकी की कंपनियां निजी लिमिटेड संरचनाओं के तहत चलाई जाती हैं और अनुबंधों, परियोजनाओं और व्यावसायिक साझेदारियों के जरिए से कमाई करती हैं. सिद्दीकी के ट्रस्ट के द्वारा स्थापित यह विश्वविद्यालय हाल ही में हुए दिल्ली विस्फोट के बाद जांच के घेरे में आए व्यक्तियों से अपने कथित संबंधों की वजह से सुर्खियों में है. पुलिस संस्थान से जुड़े कई लोगों से पूछताछ कर रही है. हालांकि विश्वविद्यालय ने आधिकारिक तौर पर अभियुक्तों या फिर किसी भी अवैध गतिविधि से किसी भी संस्थागत संबंध से इनकार कर दिया है.



