मध्य प्रदेश

खेती की जैविक पद्धतियों को अपनाएँ : राज्यपाल पटेल

जैविक उत्पादों के प्रति समाज का बढ़ा रूझान
राज्यपाल ने कृषि महाविद्यालय सीहोर के कन्या छात्रावास एवं ऐरोपोनिक्स इकाई का किया लोकार्पण

भोपाल 
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि किसान को खेती की जैविक पद्धतियों, प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए प्रेरित करें। कृषि की आधुनिक तकनीक और नई शोध पद्धतियों को अपनाकर उत्पादन की क्वालिटी और क्वांटिटी बढ़ाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि यह सुखद है कि अब समाज में लोगों का रूझान जैविक उत्पादों की ओर बढ़ रहा है। राज्यपाल श्री पटेल गुरूवार को रफी अहमद किदवई कृषि महाविद्यालय सीहोर के कन्या छात्रावास एवं ऐरोपोनिक्स इकाई के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री एदल सिंह कंसाना भी मौजूद थे।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती, भूमि एवं पर्यावरण हितैषी कृषि पद्धति है, जो भूमि की ऊर्वरता बनाए रखती है। इसके लिए समय-समय पर वर्मी कंपोस्ट का उपयोग भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वे किसानों की आय बढ़ाने वाली उन्नत बीजों और नई तकनीकों पर अनुसंधान करें। राज्यपाल श्री पटेल ने महाविद्यालय के विद्यार्थियों को शोध और नवाचार की भावना के साथ मेहनत से कार्य करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा, अनुसंधान और पर्यावरण संरक्षण का संयोजन ही राष्ट्र के भविष्य को बेहतर दिशा प्रदान कर सकता है।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए उत्तम आहार और संतुलित जीवनशैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे जंक फूड का उपयोग नहीं करें। भोजन में स्वास्थ्य वर्धक एवं पोषक तत्वों से भरपूर आहार को प्राथमिकता दें। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि कुपोषण एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के निदान के लिए मशरूम जैसी पौष्टिक फसलों को आम घरों तक पहुँचाने की आवश्यकता है। मशरूम पोषण का उत्तम स्रोत होने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने का महत्वपूर्ण साधन भी बन सकता है।

प्रकृति का शोषण नहीं, बल्कि पोषण करना जरूरी
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि देश में सबसे अधिक वन मध्यप्रदेश में हैं। यह प्रकृति का अनमोल खजाना है। हमें इसका संरक्षण और संवर्धन करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण मिल सके। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि यदि हर व्यक्ति एक पेड़ लगाने की जिम्मेदारी निभाता है तो हमारी धरती और अधिक हरित और समृद्ध बन सकती है। उन्होंने सभी से अपील की कि एक पेड़ “माँ” के नाम अवश्य लगाएं। उसकी नियमित देखरेख भी करें। यह प्रकृति से भावनात्मक जुड़ाव के प्रतीक के साथ प्रकृति संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा। उन्होंने प्रकृति और औषधीय गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि अधिकांश पेड़ों में मौजूद औषधीय गुण प्राकृतिक चिकित्सा में बहुत मददगार हैं इसलिए हमें प्रकृति का शोषण नहीं, बल्कि उसका पोषण करना जरूरी है, ताकि भावी पीढ़ी को स्वस्थ और समृद्ध पर्यावरण की विरासत प्रदान कर सके।

प्रदेश में किसान कल्याण की अनेक योजनाएं संचालित : कृषि मंत्री श्री कंषाना
कृषि मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में कृषि के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा खेती के विकास और किसानों के कल्याण के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का विशेष प्रयास किया जा रहा है।

कृषि प्रदर्शनी का किया अवलोकन
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने महाविद्यालय परिसर में कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा उत्पादित विभिन्न फसलों, जैविक उत्पादों एवं नवीन तकनीक के प्रदर्शन पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया एवं किसानों और वैज्ञानिकों से संवाद किया। कृषि क्षेत्र के नवाचारों एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में कुलगुरू श्री अरविन्द कुमार शुक्ला ने कृषि महाविद्यालय तथा राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस कृषि वैज्ञानिक, विद्यार्थी, अधिकारी तथा किसान उपस्थित थे। 

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