भोपाल की 15 हजार करोड़ की शाही संपत्ति पर हक की जंग, 20 से ज्यादा दावेदार मैदान में

भोपाल
शाही परिवार की संपत्ति का विवाद फिर से सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने MP हाई कोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति से जुड़ा है। नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान को 1962 में एकमात्र वारिस घोषित किया गया था। साजिदा सुल्तान, फिल्म अभिनेता सैफ अली खान की दादी हैं। अब नवाब के भाइयों और अन्य रिश्तेदारों के वंशज इस दावे का विरोध कर रहे हैं।
नवाब ओबैदुल्लाह खान के वंशजों ने दी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पी एस नरसिम्हा और अतुल चन्दुरकर की बेंच ने 8 अगस्त को यह फैसला सुनाया। उन्होंने उमर फारूक अली और राशिद अली की याचिका पर नोटिस जारी किया। ये दोनों नवाब ओबैदुल्लाह खान के वंशज हैं। उनके वकील आदिल सिंह बोपराई ने बताया कि MP हाई कोर्ट ने 30 जून को फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि नवाब की संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से होना चाहिए। यह फैसला 'तलत फातिमा (रामपुर) केस' पर आधारित था। हालांकि, हाई कोर्ट ने मामले को फिर से विचार करने के लिए ट्रायल कोर्ट को भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले को चुनौती दी गई है।
ट्रायल कोर्ट ने सैफ की फैमिली के पक्ष में दिया था फैसला
2019 में सुप्रीम कोर्ट ने 'तलत फातिमा रामपुर केस' में फैसला दिया था कि शाही संपत्ति का बंटवारा पर्सनल लॉ के हिसाब से होना चाहिए। MP हाई कोर्ट ने 2000 के ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था। ट्रायल कोर्ट ने नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान, उनके बेटे मंसूर अली खान (दिवंगत क्रिकेटर) और उनके कानूनी वारिसों (सैफ अली खान, सोहा अली खान, सबा सुल्तान और शर्मिला टैगोर) के अधिकारों को सही माना था। हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का फैसला 1997 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर आधारित था, जिसे 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था।
और भी हैं इस मामले में पेंच
इस संपत्ति विवाद में एक और पेच है। 2015 में सरकार ने आबिदा सुल्तान की संपत्ति को जब्त कर लिया था। आबिदा सुल्तान, हमीदुल्लाह खान की सबसे बड़ी बेटी थीं। वह पाकिस्तान चली गई थीं। भारत में उनकी संपत्ति को 'शत्रु संपत्ति' घोषित कर दिया गया है। जबलपुर के वकील राजेश कुमार पंचोली के अनुसार, आबिदा सुल्तान 1972 के मूल मामले में शामिल थीं। इस मामले में भोपाल की शाही संपत्ति के लिए 20 से अधिक दावेदार थे।
रामपुर केस की चर्चा क्यों हो रही है?
2019 का रामपुर केस इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि इसमें कहा गया था कि सभी वारिसों को, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए। लेकिन पंचोली का कहना है कि यह मामला भोपाल पर पूरी तरह से लागू नहीं हो सकता। 1972 से नवाब की कई संपत्तियां, जो भोपाल, सीहोर और रायसेन में फैली हुई हैं, वो या तो बेची जा चुकी हैं या दूसरों के कब्जे में हैं। फिलहाल हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान किसी भी नई बिक्री या हस्तांतरण पर रोक लगा दी है।