
गुरुग्राम
भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं की पहचान के लिए गुरुग्राम में काम तेज हो गया है। इसके लिए गुरुग्राम में कुल चार डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं, जहां लोगों को उनके दस्तावेजों की वेरिफिकेशन के लिए लाया जा रहा है।
वहीं, गुरुग्राम नगर निगम के सफाई ठेकेदार के साथ काम कर रहे सफाई कर्मी खासकर पश्चिम बंगाल और असम से आए लोग इन दिनों अधिकारियों की कड़ी निगरानी में हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा उनकी नागरिकता की जांच की जा रही है।
सेंटर में 50 से अधिक लोगों को रखा गया
डिटेंशन सेंटर में 50 से अधिक लोगों रखा गया है। पुलिस का कहना है कि उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जांच के बाद सभी को छोड़ दिया जाएगा।
गुरुग्राम पुलिस ने 17 जुलाई को जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इन डिटेंशन सेंटर की स्थापना का अनुरोध किया था। पुलिस ने अपने पत्र में केंद्रीय मंत्रालय के 2 मई 2025 के निर्देश का हवाला दिया था, जिसमें राज्यों को जिला स्तर पर बांग्लादेशियों और राेहिंग्याओं की पहचान करने के लिए कहा गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके निर्वासन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी बनाई है। यदि कोई बांग्लादेशी या राेहिंग्या भारत में अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है, तो उसे हिरासत में लेकर डिटेंशन सेंटर में रखा जाना है। 18 जुलाई को गुरुग्राम में चार अलग-अलग स्थानों पर डिटेंशन सेंटर स्थापित किए गए हैं। इनमें बादशाहपुर का सामुदायिक केंद्र, सेक्टर 10ए का सामुदायिक केंद्र, सेक्टर 40 का सामुदायिक केंद्र और मानेसर के सेक्टर-एक का सामुदायिक केंद्र शामिल है। गुरुग्राम जिले को चार पुलिस जिलों पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और मानेसर में विभाजित किया गया है।
नायब तहसीलदारों को प्रभारी नियुक्त किया
मंगलवार को प्रशासन ने बादशाहपुर के नायब तहसीलदार बादशाहपुर डिटेंशन सेंटर के प्रभारी, कादीपुर के नायब तहसीलदार सेक्टर-10ए डिटेंशन सेंटर का प्रभारीं, वजीराबाद के नायब तहसीलदार को सेक्टर 40 सामुदायिक केंद्र का प्रभारी और मानेसर के नायब तहसीलदार को मानेसर डिटेंशन सेंटर का प्रभारी बनाया है। मामले में गुरुग्राम के उपायुक्त अजय कुमार से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।