झारखंड/बिहारराज्य

सिंधु आम स्वाद, आकार और गुणवत्ता में तो बेहतरीन है ही, साथ ही इसमें गुठली नहीं, अब बिना गुठली के आम का सवाद ले सकेंगे

भागलपुर
आम को फलों का राजा कहा जाता है और अब यह राजा एक नई क्रांति के साथ सामने आया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (बीएयू) ने आम की ऐसी किस्म तैयार की है जिसे "सीडलेस मैंगो" यानी बिना गुठली वाला आम कहा जा रहा है। इसे 'सिंधु' नाम दिया गया है और यह आम की दुनिया में एक क्रांतिकारी पहल मानी जा रही है। बीएयू के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने बताया कि इस किस्म को विकसित करने में फ्रूट रिसर्च टीम ने वर्षों की मेहनत लगाई है। "सिंधु" आम स्वाद, आकार और गुणवत्ता में तो बेहतरीन है ही, साथ ही इसमें गुठली नहीं होने के कारण इसका पूरा हिस्सा खाया जा सकता है। यह परंपरागत कहावत "आम के आम और गुठली के दाम" को गलत साबित करता प्रतीत होता है।

भागलपुर आम अनुसंधान का गढ़
1951 में जब सबौर कृषि कॉलेज ने ‘महमूद बहार’ और ‘प्रभा शंकर’ जैसे आम की किस्में रिलीज की थीं, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन यही संस्थान बिना गुठली वाला आम तैयार करेगा। आज बीएयू के बाग़ानों में 254 से अधिक आम की किस्में मौजूद हैं। भारत सरकार ने भागलपुरी जर्दालु आम को पहले ही GI टैग से नवाजा है। अब विश्वविद्यालय ने 12 और नई किस्मों को GI टैग के लिए भेजा है। इससे बिहार की पहचान अंतरराष्ट्रीय बाजार में और मजबूत होगी।

बदलते मौसम में भी फलने वाले पेड़
कुलपति डॉ. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ऐसी किस्मों पर काम कर रही है जो साल के अंतिम महीनों तक भी फल दें। यानी अब दिसंबर में भी ताजा आम का स्वाद लिया जा सकेगा। इसके अलावा ऐसे पेड़ तैयार किए जा रहे हैं जो हर साल फल देंगे और उनमें एक पेड़ से लगभग 2000 आम प्राप्त किए जा सकेंगे।

उत्पादन में बिहार देश में अग्रणी
बिहार आम उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर है। यहां प्रति हेक्टेयर औसतन 9.5 टन आम का उत्पादन होता है, जो कि देश के औसत 8.8 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक है। यह अपने आप में बिहार की कृषि तकनीक और मेहनती किसानों की सफलता की कहानी बयां करता है।

नवाचार से निकलेगी नई राह
सीडलेस आम न केवल स्वाद और सुविधा का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय बागवानी क्षेत्र में अनुसंधान की शक्ति और संभावनाओं का भी उदाहरण है। यह कदम किसानों की आमदनी बढ़ाने, उपभोक्ताओं को बेहतर उत्पाद देने और वैश्विक बाजार में भारत की साख को ऊंचा करने में सहायक साबित होगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने कहा कि सिंधु जैसी सीडलेस आम की किस्में बिहार को आम उत्पादन की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी। हमारा लक्ष्य यह है कि किसान नई तकनीक से जुड़ें और आम की गुणवत्ता व उत्पादन दोनों बढ़ाएं।

 

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