अपनी असली पहचान को तरसता संभल , क्या संभल को न्याय दिला पायेगी योगी सरकार ?

देश में कुछ दिनों से उत्तरप्रदेश का संभल और सीओ अनुज चौधरी का ही नाम गूंज रहा है | जामा मस्जिद संभल में सर्वे के समय पुलिस पर हुए पथराव के बाद चर्चा में आये संभल ने देश वासियों का ध्यान अपनी ओर खींचा |
संभल जो कभी मुरादाबाद डिवीज़न का हिस्सा हुआ करता था उसका इतिहास और पौराणिक महत्व भी बहुत अधिक है | 68 तीर्थों वाला यह नगर जिसके पूर्व में चंद्रशेखर ,उत्तर में भुवनेश्वर और दक्षिण में सम्भालेश्वर शिवलिंग विराजमान है | पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु का दशम अवतार कल्कि अवतार यही पर होना है जिसको पौराणिक वेदों में शम्बल नगर के रूप में वर्णित किया गया है |
सनातनी संभल को आज के संभल बनाने के पीछे नापाक मंसूबे किसके थे जिस शहर में हिन्दू आस्था का इतना महत्व हो उस जगह होली मनाने के लिए सरकार और प्रशासन को आज एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है | इस परिस्थिति को समझने के लिए हमें वर्तमान समय से पीछे चलना होगा ,
1947 में संभल में 55 फीसदी मुसलमान और 45 फीसदी हिन्दू आबादी थी | लेकिन तब से लेकर अब तक डेमोग्राफी ऐसी बदली की अब यहाँ 85 फीसदी मुसलमान और 15 फीसदी हिन्दू है | संभल में मौजूदा तनाव की वजह आबादी का यही बदला समीकरण है |
1976 ,1978 से संभल को सुलगाने की नापाक साजिश
1947 – 48 में जब देश भर में दंगे हुए तक उसकी आंच सँभल तक पहुंची | 1958 और 1962 में हिन्दू मुसलमान दंगे संभल में हुए जिसमे दोनों पक्षों के लोग घायल हुए | जिसकी रिपोर्ट दर्ज की गई |
उसके बाद 1976 के दौर में समाजवादी पार्टी के उभरते युवा नेता शफीकुर्रहमान बर्क के खास आदमी मंजर शफी जिस को उस समय पुलिस रिपोर्ट में नामजद किया गया , के नेतृत्व में पतिया गांव में एक मौलवी की हत्या हिन्दू युवक द्वारा किये जाने की अफवाह फैला कर दंगा कराया गया जबकि बाद में पुलिस तहकीकात में पता चला की मस्जिद कमिटी के आपसी झगड़े के कारण मौलवी की हत्या एक मुस्लिम युवक द्वारा ही की गई थी | पर रिपोर्ट के आने से पहले ही दंगे बढ़ गए और ये बवाल फ़रवरी से अप्रैल तक चलता रहा | पुलिस को स्थिति को काबू करने के लिए 7 दिनों का कर्फू लगाना पड़ा |
1976 से चला आ रहा अफवाहों का ये खेल और बवाल 1978 सबसे बड़े दंगों में बदल गया | 29 मार्च 1978 को संभल बाजार में 40 से अधिक हिन्दुओं की दुकान को लूटकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया , दंगाइयों का नरसंहार का व्योरा 1978 दंगों के पुलिस रिकॉर्ड में है | मंजर शफी 1978 के दंगों में नामजद हुआ जिसमे 24 हिन्दुओं को जला दिया गया 1978 से 1995 तक 200 से ज्यादा हिन्दुओं की जान दंगों में चली गई | परन्तु तुष्टिकरण के कारण तत्कालीन सरकार ने संभल में हिन्दुओं को न्याय से वंचित रखा |
1978 दंगों के बाद हिन्दू पलायन के कारण सामाजिक समीकरण बदल गए | हिन्दुओं की जमीनों और मंदिरों में कब्ज़ा कर लिया गया और सनातनी संभल (शम्भल नगर) आज का संभल बन गया | 2024 में हुए दंगों में समाजवादी पार्टी नेता शफीकुर्रहमान बर्क पर भी FIR दर्ज की गई | योगी सरकार संभल को उसकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए और संभल में हुए अन्याय का न्याय दिलाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता कई बार जाहिर कर चुकी है |