विदेश

हिंदुओं की सुरक्षा पर सख्त चेतावनी: बांग्लादेशी अधिकारियों से कहा—शांत नहीं बैठेंगे

कोलकाता

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचारों, विशेष रूप से हालिया लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन जारी हैं। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में गुरुवार को बांगिया हिंदू महामंच ने बड़ा प्रदर्शन किया, जबकि कोलकाता और गुवाहाटी में शुक्रवार को हजारों लोग सड़कों पर उतरे। इन प्रदर्शनों में बांग्लादेशी अधिकारियों पर दबाव बनाने और हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की जा रही है।

सिलीगुड़ी में बांगिया हिंदू महामंच के अध्यक्ष बिक्रमादित्य मंडल ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा- बांग्लादेश में हिंदुओं को जिस तरह लिंच किया जा रहा है, उसके खिलाफ हम प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने पहले ही वीजा कार्यालय बंद करवा दिया है। अगर बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा नहीं हुई, तो हम यहां बांग्लादेशी अधिकारियों को शांतिपूर्वक रहने नहीं देंगे। हम उन्हें प्रताड़ित नहीं करेंगे, लेकिन उनके काम नहीं करने देंगे और सुनिश्चित करेंगे कि वे अपने देश वापस चले जाएं।

ये प्रदर्शन मुख्य रूप से बांग्लादेश के मायमनसिंह जिले में 18 दिसंबर को हुई दीपू चंद्र दास (27 वर्ष) की लिंचिंग से ट्रिगर हुए हैं। दीपू चंद्र दास नामक हिंदू युवक पर कथित ईशनिंदा का आरोप लगाकर भीड़ ने उन्हें पीटा, पेड़ से लटकाया और शरीर को आग लगा दी। इसके अलावा, हाल ही में एक अन्य हिंदू युवक अमृत मंडल की हत्या की खबरें भी सामने आई हैं। इन घटनाओं ने भारत में भारी राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है।

पश्चिम बंगाल और असम में प्रदर्शन तेज हो गए हैं। कोलकाता में शुक्रवार को हजारों भगवा वस्त्र धारण किए हिंदू कार्यकर्ता बांग्लादेश डिप्टी हाई कमीशन के बाहर जमा हुए। भाजपा नेता एवं पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी कमीशन परिसर में घुस गए और अधिकारियों से बात की। उन्होंने हिंदुओं पर अत्याचार रोकने की मांग की। असम के गुवाहाटी में भी बंगाली यूनाइटेड फोरम ने बांग्लादेश असिस्टेंट हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन किया।

इससे पहले दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में भी विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों ने प्रदर्शन किए। सिलीगुड़ी में वीजा सेंटर में तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुईं, जिसके बाद बांग्लादेश ने भारत के राजदूत को तलब किया था।
भारत की ओर से प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा- भारत बांग्लादेश के लोगों से निकट और मित्रतापूर्ण संबंध चाहता है, जो मुक्ति संग्राम में जड़े हुए हैं और विकास एवं जन-जन के प्रयासों से मजबूत हुए हैं। बांग्लादेश में हो रहे राजनीतिक बदलावों, जैसे बीएनपी नेता तारिक रहमान की 17 वर्ष बाद वापसी और शेख हसीना की अवामी लीग पर प्रतिबंध के संदर्भ में जायसवाल ने कहा- हम बांग्लादेश में शांति और स्थिरता के पक्षधर हैं। हम लगातार स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और भागीदारीपूर्ण चुनावों की मांग करते रहे हैं।

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने दीपू चंद्र दास मामले में 10 गिरफ्तारियां होने की जानकारी दी थी, लेकिन भारत में प्रदर्शनकारियों का मानना है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। स्वतंत्र रिपोर्ट्स के अनुसार, यूनुस सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों पर 2,900 से अधिक हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

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