मध्य प्रदेश

विधायक संजय पाठक से जुड़ी खदानों पर कार्रवाई की तैयारी, 443 करोड़ की रिकवरी पर नहीं मिला जवाब

जबलपुर
 कटनी के विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय पाठक से जुड़ी खनन कंपनियों के खिलाफ खनिज विभाग ने 443 करोड़ रुपये की रिकवरी को लेकर सख्त रुख अपना लिया है। जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में संचालित तीन लौह अयस्क खदानों में निर्धारित सीमा से अधिक खनन के मामले में विभाग द्वारा जारी दो नोटिस और अंतिम चेतावनी के बावजूद कंपनियों ने न तो कोई जवाब दिया है और न ही राशि जमा की है।

खनिज विभाग ने 4 दिसंबर को अंतिम नोटिस जारी किया था, जिसकी समय-सीमा 23 दिसंबर की शाम को समाप्त हो गई। विभागीय सूत्रों के अनुसार अब रिकवरी आरोपित कर दी गई है और वसूली के लिए अधिकृत कार्रवाई शुरू कर दी गई है। तय राशि जमा नहीं होने पर नियमों के तहत खदान या उतनी ही कीमत की संपत्ति को सीज किया जा सकता है। यह मामला सिहोरा क्षेत्र की निर्मला मिनरल, आनंद मिनरल और पैसिफिक मिनरल नामक तीन लौह अयस्क खदानों से जुड़ा है। भले ही विधायक संजय पाठक इनके प्रत्यक्ष मालिक न हों, लेकिन विभागीय रिकॉर्ड में इन पर उनका आधिपत्य दर्ज है।

जांच में अनुमति से अधिक खनन की पुष्टि हुई है, जिसके आधार पर 443 करोड़ रुपये की पेनल्टी तय की गई है। अब खनिज विभाग डिमांड नोटिस जारी करेगा। साथ ही, जियोमाइन बेनिफिकेशन प्लांट सहित अन्य खदानों को लेकर केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की जांच में भी कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। 

अधिकारियों का कहना है कि नोटिस का जवाब मिलने के बाद ही अगला कदम तय किया जाएगा, लेकिन यदि निर्धारित समय सीमा में संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो कुर्की की कार्रवाई शुरू की जाएगी। माइनिंग विभाग जल्द ही RRC जारी करने की भी तैयारी में है। प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर पाई गई अनियमितताओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस कार्रवाई ने खनन कारोबार से जुड़े कई व्यापारियों में भी चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि पहली बार सत्तारूढ़ दल के किसी विधायक की कंपनियों पर इतना बड़ा दंड लगाया गया है।

विधायक संजय पाठक ने अब तक इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, जिससे अटकलें और बढ़ गई हैं। सरकार द्वारा अपने ही पार्टी विधायक के खिलाफ इतनी कड़ी कार्रवाई करने से यह मामला और भी सुर्खियों में है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन आगे की कार्रवाई कितनी तेजी और निष्पक्षता से करता है। यह मामला न सिर्फ राजनीतिक वाद-विवाद का केंद्र बना हुआ है बल्कि प्रदेश में खनन गतिविधियों की निगरानी और नियमन पर भी नए सवाल खड़े कर रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button